गुरेज घाटी




हाल में गुरेज घाटी की यात्रा पर गया था। कश्मीर के इस पिछड़े इलाके से गुजरते हुए अहसास हुआ कि वाकई इस राज्य की स्थिति बाकी पहाड़ी क्षेत्रों से काफी अलग है। वैसे तो विकास हर राज्य का अहम मुद्दा है, लेकिन कश्मीर के हालात के मद्देनजर वहां त्वरित विकास की सख्त जरूरत है।  


गुरेज़ से तुलैल घाटी का रास्ता 
गुरेज घाटी ठीक नियंत्रण रेखा यानी एलओसी पर स्थित है। हालांकि यहां के हालात एलओसी पर स्थित बाकी जगहों से थोड़े अलग भी हैं। कश्मीर में होते हुए भी यहां के लोग कश्मीरियों से अलग हैं। यहां दर्द कबीले के लोग रहते हैं, जिनकी भाषा शीना गुरेज के अलावा पीओके में स्थित गिलगित और बालटीस्तान में ही बोली जाती है। कुदरती रूप से गुरेज और इससे और आगे स्थित तुलैल घाटी इतनी खूबसूरत हैं कि सिर्फ पर्यटन से ही इस इलाके के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है। 

हब्बा खातून नाम की पहाड़ी चमत्कारिक रूप से दिन के हर पहर अपना रंग बदलती है। तुलैल घाटी के गांवों के लगभग सभी घर मिट्टी और लकड़ी से बने हैं। दर्द लोग यहां आज भी खेती और अपने जानवरों के सहारे जीवन निर्वाह कर रहे हैं क्योंकि विकास की राह इनसे अभी भी मीलों दूर है। एक धूल भरी सड़क है, जो बांडीपोरा से गुरेज़ होते हुए इस इलाके को पूरी दुनिया से जोड़ती है। शायद ही इस पर कभी तारकोल बिछाया गया हो। पूरे इलाके में सिर्फ एक मोबाइल टॉवर है, जो गुरेज़ में है। तुलैल में तो इसके सिग्नल भी नहीं पहुंच पाते हैं। 



तुलैल घाटी 
बिजली के तार इस इलाके में आज तक नहीं पहुंच पाए हैं। सरकार ने यहां गांवों में बिजली देने के नाम पर डीजल से चलने वाले जेनरेटर लगाए हैं, लेकिन ये भी शाम को कुछ घंटे के लिए ही घरों को रोशन कर पाते हैं। सर्दियों में गुरेज और तुलैल पूरी दुनिया से 6 महीनों के लिए कट जाते हैं। हालांकि यह दर्द लोगों का जीवट ही है कि ऐसे मुश्किल हालात में भी आशावादी बने रहते हैं। सबसे बड़ी बात है कि वे भारत के प्रति आस्थावान हैं। यहां के बाशिंदों और सेना के बीच सामंजस्य और सहयोग का भाव देखकर अच्छा लगा। स्थानीय लोग तो सेना पर निर्भर हैं ही, सेना को भी कभी-कभार यहां के लोगों की जरूरत पड़ती है। 


तुलैल घाटी में भारतीय सेना की एक चौकी  
बताते हैं कि आपस में इसी मेलजोल की वजह से एलओसी से तीन ओर से घिरी तुलैल घाटी में घुसपैठ की कोशिशें भी न के बराबर हुई हैं। वैसे सरकार ने इस इलाके की सुध लेनी शुरू कर दी है। दास की ओर से नया रास्ता बनाया जा रहा है। बांडीपोरा की तरफ से सड़क पक्की हो रही है। काश! सरकार इस रास्ते को साल भर खोले रखने की कोशिशें भी जल्द शुरू कर दे। यहां विकास के पहिये को और तेज घुमाने की जरूरत है तभी गुरेज और तुलैल के लोगों के साथ न्याय हो सकेगा।